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बिहार का इतिहास: प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक

बिहार, भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है, जिसका इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण रहा है। यह राज्य प्राचीन काल में सत्ता और ज्ञान के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध था। यहाँ विभिन्न धार्मिक आंदोलनों का जन्म हुआ, और इसे कई महान शासकों, संतों और विद्वानों की जन्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है। इस लेख में, हम बिहार के इतिहास को विभिन्न कालखंडों में विभाजित करके जानेंगे और उसके विकास, संस्कृति, राजनीति, और समाज पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

1. प्राचीन बिहार – सभ्यता की शुरुआत

बिहार का प्राचीन इतिहास भारतीय सभ्यता के प्रारंभिक दिनों से जुड़ा हुआ है। यह राज्य मौर्य, गुप्त, और पाटलिपुत्र जैसे प्रमुख साम्राज्यों का हिस्सा रहा, जिसने भारतीय राजनीति, संस्कृति, और धर्म को प्रभावित किया।

वैदिक और मौर्य काल

प्राचीन बिहार का ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है, खासकर मगध साम्राज्य के संदर्भ में। बिहार का प्राचीन नाम “मगध” था, जो भारतीय इतिहास में एक प्रमुख राज्य के रूप में स्थापित हुआ। यह राज्य बौद्ध और जैन धर्म के प्रादुर्भाव का केंद्र भी था। मौर्य साम्राज्य के पहले सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) को बनाई और यहाँ से पूरे भारत पर शासन किया। चंद्रगुप्त मौर्य का शासन भारतीय इतिहास का स्वर्णिम युग था, जिसमें एक मजबूत प्रशासनिक तंत्र और राज्यव्यवस्था की स्थापना की गई।

सम्राट अशोक ने मौर्य साम्राज्य को अपनी शक्ति और शांति की नीति से स्थापित किया। अशोक ने युद्धों के बाद बौद्ध धर्म अपनाया और इसके माध्यम से अपने साम्राज्य में अहिंसा और धर्म का प्रसार किया। उनकी नीति और शांति का संदेश दूर-दूर तक फैला।

नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय

प्राचीन बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसे महान शिक्षण संस्थान थे, जो भारतीय और विदेशी छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करते थे। नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल में हुई थी, और यह बौद्ध धर्म के अध्ययन का प्रमुख केंद्र था। यहाँ बौद्ध धर्म के कई महान शिक्षक और विद्वान शिक्षण देते थे, और यह विश्वभर से छात्रों को आकर्षित करता था। विक्रमशिला विश्वविद्यालय भी बौद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र था, जहाँ भारतीय और तिब्बत, नेपाल जैसे देशों से छात्र आते थे।

2. मध्यकाल – मुस्लिम शासन और संघर्ष

मध्यकाल में बिहार पर मुस्लिम सल्तनत और फिर मुघल साम्राज्य का शासन रहा। इस काल के दौरान बिहार में कई सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक परिवर्तन हुए।

दिल्ली सल्तनत और शेरशाह सूरी

दिल्ली सल्तनत के बाद, बिहार ने शेरशाह सूरी के नेतृत्व में एक स्वतंत्र राज्य के रूप में पहचान बनाई। शेरशाह सूरी का जन्म बिहार के सासाराम जिले में हुआ था, और उनका शासन एक सशक्त प्रशासन, सुधार और अच्छे प्रशासनिक तंत्र के लिए प्रसिद्ध था। शेरशाह ने अपनी नीतियों के तहत सड़क निर्माण, कर प्रणाली, और बैंकिंग प्रणाली का सुधार किया। उनकी सबसे प्रसिद्ध योजना Grand Trunk Road थी, जो उत्तर भारत से बंगाल तक फैली हुई थी।

मुगल साम्राज्य

मुगल साम्राज्य के दौरान बिहार ने सांस्कृतिक और धार्मिक विविधताओं का अनुभव किया। बिहार के विभिन्न हिस्सों में मुघल सम्राटों ने अपने शासन की नींव रखी। मुगलों के शासन ने इस राज्य में कलात्मकता, वास्तुकला और सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा दिया।


3. ब्रिटिश काल – स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक परिवर्तन

ब्रिटिश साम्राज्य के तहत बिहार ने कई महत्वपूर्ण घटनाओं और आंदोलनों का सामना किया, जिनसे स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा मिली। इस काल में बिहार में जो सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन हुए, उनका प्रभाव आज भी देखा जा सकता है।

1857 का विद्रोह और बाबू कुँवर सिंह

भारत में 1857 का विद्रोह एक ऐतिहासिक घटना थी, जिसमें बिहार के महान स्वतंत्रता सेनानी बाबू कुँवर सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया। बाबू कुँवर सिंह ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ अपने विद्रोह का नेतृत्व किया और स्वतंत्रता संग्राम के नायक बने। उनके नेतृत्व में बिहार ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया, और उनका नाम आज भी बिहार के वीर नायकों में लिया जाता है।

चंपारण सत्याग्रह और महात्मा गांधी

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी का बिहार से गहरा संबंध है। गांधी जी ने 1917 में बिहार के चंपारण जिले में किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए सत्याग्रह आंदोलन किया। चंपारण सत्याग्रह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नया मोड़ दिया और महात्मा गांधी को भारतीय राजनीति में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया।


4. स्वतंत्रता के बाद – बिहार का राजनीतिक और सामाजिक बदलाव

झारखंड राज्य का गठन

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद बिहार एक स्वतंत्र राज्य बना। 2000 में बिहार से झारखंड को अलग कर दिया गया, और यह राज्य नए राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के लिए एक नया रास्ता बना। बिहार के राजनीतिक नेतृत्व में कई बदलाव आए, और राज्य में सुधार की दिशा में कदम उठाए गए।

नीतीश कुमार और विकास योजनाएँ

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में कई विकास योजनाओं को लागू किया। सड़कों की निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति, और महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं चलाई गईं। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने कई महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन देखे। उन्होंने शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं बनाई, जिससे राज्य में साक्षरता दर में वृद्धि हुई।


5. बिहार की संस्कृति और समाज

धार्मिक विविधता

बिहार में हिन्दू धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म और जैन धर्म के अनुयायी मिलते हैं। बिहार का सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता यहां की संस्कृति को और भी समृद्ध बनाता है। छठ पूजा बिहार का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध त्यौहार है, जो सूर्य देवता की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा, बिहार में बौद्ध तीर्थ स्थल जैसे बोधगया और जैन धर्म के प्रमुख स्थल भी हैं।

साहित्य और कला

बिहार की साहित्यिक और कलात्मक धरोहर भी बहुत समृद्ध है। यहाँ के भिखारी ठाकुर जैसे लोक कलाकारों और साहित्यकारों ने लोक नृत्य और लोक संगीत को दुनिया भर में फैलाया। मिथिला चित्रकला, संताली चित्रकला, और पटना शैली जैसी कलाओं ने भारतीय कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।


6. बिहार की राजनीति और वर्तमान समय

बिहार की राजनीति में कई बड़े नेता हुए हैं, जिनमें लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, और कुमार विश्वास जैसे नेता शामिल हैं। इन नेताओं ने बिहार को एक नई दिशा में ले जाने का कार्य किया। आज के समय में, बिहार राज्य ने अपनी सशक्त प्रशासनिक नीतियों, विकास योजनाओं और सामाजिक सुधारों के जरिए भारत के सबसे विकसित राज्यों में से एक बनने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।


बिहार का इतिहास भारतीय सभ्यता और संस्कृति का एक अमूल्य हिस्सा है। प्राचीन काल में बिहार धार्मिक, सांस्कृतिक, और शैक्षिक विकास का केंद्र था, जबकि मध्यकाल और ब्रिटिश काल में यह संघर्ष और स्वतंत्रता संग्राम का गवाह रहा। स्वतंत्रता के बाद, बिहार ने विकास के कई नए रास्ते खोले हैं। आज बिहार एक नई पहचान बना चुका है, जिसमें उसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के साथ-साथ आर्थिक और राजनीतिक विकास की दिशा भी नज़र आती है।


इस विस्तृत लेख के माध्यम से, हमने बिहार के इतिहास को विभिन्न कालखंडों में समझा है और उसके महत्व को उजागर किया है। यह राज्य भारतीय इतिहास का अभिन्न हिस्सा है, और इसके योगदान को कभी भी कम करके नहीं आंका जा सकता।